Saturday, October 23, 2021

धैर्य और सहिष्णुता की मानसिकता - सत्य कथा

अफ्रीका के राष्ट्रपति बनने के बाद नेल्सन मांडेला अपने सुरक्षा कर्मियों के साथ एक रेस्तरां में खाना खाने गए।सबने अपनी अपनी पसंद का खाना आर्डर किया और खाना आने का इंतजार करने लगे। उसी समय मांडेला की सीट के सामने वाली सीट पर एक व्यक्ति अपने खाने का इंतजार कर रहा था। 
मांडेला ने अपने सुरक्षाकर्मी से कहा कि उसे भी अपनी टेबल पर बुला लो। ऐसा ही हुआ खाना आने के बाद सभी खाने लगे, वो आदमी भी अपना खाना खाने लगा , पर उसके हाथ खाते हुए कांप रहे थे। खाना खत्म कर वो आदमी सिर झुका कर रेस्तरां से बाहर निकल गया । 

उस आदमी के जाने के बाद मंडेला के सुरक्षा अधिकारी ने मंडेला से कहा कि वो व्यक्ति शायद बहुत बीमार था, खाते वख़्त उसके हाथ लगातार कांप रहे थे और वह ख़ुद भी कांप रहा था । मांडेला ने कहा नहीं ऐसा नहीं है । वह उस जेल का जेलर था, जिसमें मुझे कैद रखा गया था । जब कभी मुझे यातनाएं दी जाती थीं और मै कराहते हुए पानी मांगता था तो ये मेरे ऊपर पेशाब करता था ।

मांडेला ने कहा मै अब राष्ट्रपति बन गया हूं, उसने समझा कि मै भी उसके साथ शायद वैसा ही व्यवहार करूंगा । पर मेरा चरित्र ऐसा नहीं है । मुझे लगता है बदले की भावना से काम करना विनाश की ओर ले जाता है ।वहीं धैर्य और सहिष्णुता की मानसिकता हमें विकास की ओर ले जाती है ।