Tuesday, December 14, 2021

डॉक्टर jokes😂

 

पत्नी ICU में थी। पति का रो-रोकर बुरा हाल था। डॉक्टर बोला, ‘हम पूरी कोशिश कर रहे हैं, पर वह कुछ बोल ही नहीं रही है। शायद कोमा में है। अब तो सब कुछ भगवान के हाथ में है।’ पति बोल उठा, ‘सिर्फ 40 की ही तो है अभी...’ तभी एक चमत्कार दिखा । ECG और धड़कन बड़ने लगी, पत्नी की उंगली हीली, होंठ हिले और आवाज आई " 36 की हुँ ।’😂😜😄

 

Monday, December 13, 2021

सर्जीकल और एयर......

 

सर्जीकल और एयर स्ट्राइक बवासीर के ऑपरेशन जैसा है... डॉक्टर कामयाब बताता है.... मरीज जगह दिखाने को तैयार नहीं ..... और बुद्धिमान स्थान देखना नही चाहते.......🤣🤣🤣🤣🤣

Sunday, December 12, 2021

हृदय में विराजमान भगवान

🌹हृदय में भगवान🌹 

यह घटना जयपुर के एक वरिष्ठ डॉक्टर की आपबीती है, जिसने उनका जीवन बदल दिया। वह हृदय रोग विशेषज्ञ  हैं। उनके द्वारा बताई प्रभु कृपा की कहानी के अनुसार:-

एक दिन मेरे पास एक दंपत्ति अपनी छः साल की बच्ची को लेकर आए। निरीक्षण के बाद पता चला कि उसके हृदय में रक्त संचार बहुत कम हो चुका है।

मैंने अपने साथी डाक्टर से विचार करने के बाद उस दंपत्ति से कहा - 30% संभावना है बचने की ! दिल को खोलकर ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ेगी, नहीं तो बच्ची के पास सिर्फ तीन महीने का समय है !

माता पिता भावुक हो कर बोले, "डाक्टर साहब ! इकलौती बिटिया है। ऑपरेशन के अलावा और कोई चारा नहीं है।

मैंने अन्य कोई विकल्प के लिए मना कर दिया
दंपति ने कहा आप ऑपरेशन की तैयारी कीजिये।"

सर्जरी के पांच दिन पहले बच्ची को भर्ती कर लिया गया। बच्ची मुझ से बहुत घुलमिल चुकी थी, बहुत प्यारी बातें करती थी। उसकी माँ को प्रार्थना में अटूट विश्वास था। वह सुबह शाम बच्ची को यही कहती, बेटी घबराना नहीं। भगवान बच्चों के हृदय में रहते हैं। वह तुम्हें कुछ नहीं होने देंगे।

सर्जरी के दिन मैंने उस बच्ची से कहा, "बेटी ! चिन्ता न करना, ऑपरेशन के बाद आप बिल्कुल ठीक हो जाओगे।" बच्ची ने कहा, "डाक्टर अंकल मैं बिलकुल नहीं डर रही क्योंकि मेरे हृदय में भगवान रहते हैं, पर आप जब मेरा हार्ट ओपन करोगे तो देखकर बताना भगवान कैसे दिखते हैं ?" मै उसकी बात पर मुस्कुरा उठा।

ऑपरेशन के दौरान पता चल गया कि कुछ नहीं हो सकता, बच्ची को बचाना असंभव है, दिल में खून का एक कतरा भी नहीं आ रहा था। निराश होकर मैंने अपनी साथी डाक्टर से वापिस दिल को स्टिच करने का आदेश दिया।

तभी मुझे बच्ची की आखिरी बात याद आई और मैं अपने रक्त भरे हाथों को जोड़ कर प्रार्थना करने लगा, "हे ईश्वर ! मेरा सारा अनुभव तो इस बच्ची को बचाने में असमर्थ है, पर यदि आप इसके हृदय में विराजमान हो तो आप ही कुछ कीजिए।" 

मेरी आँखों से आँसू टपक पड़े। यह मेरी पहली अश्रु पूर्ण प्रार्थना थी। इसी बीच मेरे जूनियर डॉक्टर ने मुझे कोहनी मारी। मैं चमत्कार में विश्वास नहीं करता था पर मैं स्तब्ध हो गया यह देखकर कि दिल में रक्त संचार पुनः शुरू हो गया।

मेरे 60 साल के जीवन काल में ऐसा पहली बार हुआ था। आपरेशन सफल तो हो गया पर मेरा जीवन बदल गया। होश में आने पर मैंने बच्ची से कहा, "बेटा ! हृदय में भगवान दिखे तो नहीं पर यह अनुभव हो गया कि वे हृदय में मौजूद हर पल रहते हैं।

इस घटना के बाद मैंने अपने आपरेशन थियेटर में प्रार्थना का नियम निभाना शुरू किया। मैं यह अनुरोध करता हूँ कि सभी को अपने बच्चों में प्रार्थना का संस्कार डालना ही चाहिए।

यह कहानी एक ह्रदय रोग विशेषज्ञ की आत्म बीती है।


🙏🌷जय श्री राधे कृष्ण 🌷🙏

Friday, November 19, 2021

राजाभोज और व्यापारी

*राजाभोज और व्यापारी*

   🕉️🕉️🕉️
यह एक मनोवैज्ञानिक सत्य है कि जैसा भाव हमारे मन मेे होता है वैसा ही भाव सामने वाले के मन में आता है। इस सबंध में एक ऐतिहासिक घटना सुनी जाती है जो इस प्रकार है-

एक बार राजा भोज की सभा में एक व्यापारी ने प्रवेश किया। राजा ने उसे देखा तो देखते ही उनके मन में आया कि इस व्यापारी का सबकुछ छीन लिया जाना चाहिए। व्यापारी के जाने के बाद राजा ने सोचा –

मै प्रजा को हमेशा न्याय देता हूं। आज मेेरे मन में यह अन्याय पूर्ण भाव क्यों आ गया कि व्यापारी की संपत्ति छीन ली जाये?

उसने अपने मंत्री से सवाल किया मंत्री ने कहा, “इसका सही जवाब कुछ दिन बाद दे पाउंगा, राजा ने मंत्री की बात स्वीकार कर ली। मंत्री विलक्षण बुद्धि का था वह इधर-उधर के सोच-विचार में सयम न खोकर सीधा व्यापारी से मिलने पहूंचा। व्यापारी से दोस्ती करके उसने व्यापारी से पूछा, “तुम इतने चिंतित और दुखी क्यों हो? तुम तो भारी मुनाफे वाला चंदन का व्यापार करते हो।”

व्यापारी बोला, “धारा नगरी सहित मैं कई नगरों में चंदन की गाडीयां भरे फिर रहा हूं, पर चंदन इस बार चन्दन की बिक्री ही नहीं हुई! बहुत सारा धन इसमें फंसा पडा है। अब नुकसान से बच पाने का कोई उपाय नहीं है।

व्यापारी की बातें सुन मंत्री ने पूछा, “क्या अब कोई भी रास्ता नही बचा है?”

व्यापारी हंस कर कहने लगा अगर राजा भोज की मृत्यु हो जाये तो उनके दाह-संस्कार के लिए सारा चंदन बिक सकता है।

मंत्री को राजा का उत्तर देने की सामग्री मिल चुकी थी। अगले दिन मंत्री ने व्यापारी से कहा कि, तुम प्रतिदिन राजा का भोजन पकाने के लिए एक मन ४० किलो चंदन दे दिया करो और नगद पैसे उसी समय ले लिया करो। व्यापारी मंत्री के आदेश को सुनकर बड़ा खुश हुूआ। वह अब मन ही मन राजा की लंबी उम्र होने की कामना करने लगा।

एक दिन राज-सभा चल रही थी। व्यापारी दोबारा राजा को वहां दिखाई दे गया। तो राजा सोचने लगा यह कितना आकर्षक व्यक्ति है इसे क्या पुरस्कार दिया जाये?

राजा ने मंत्री को बुलाया और पूछा, “मंत्रीवर, यह व्यापारी जब पहली बार आया था तब मैंने तुमसे कुछ पूछा था, उसका उत्तर तुमने अभी तक नहीं दिया। खैर, आज जब मैंने इसे देखा तो मेरे मन का भाव बदल गया! पता नहीं आज मैं इसपर खुश क्यों हो रहा हूँ और इसे इनाम देना चाहता हूँ!

मंत्री को तो जैसे इसी क्षण की प्रतीक्षा थी। उसने समझाया-

महाराज! दोनों ही प्रश्नों का उत्तर आज दे रहा हूं। जब यह पहले आया था तब अपनी चन्दन की लकड़ियों का ढेर बेंचने के लिए आपकी मृत्यु के बारे में सोच रहा था। लेकिन अब यह रोज आपके भोजन के लिए एक मन लकड़ियाँ देता है इसलिए अब ये आपके लम्बे जीवन की कामना करता है। यही कारण है कि पहले आप इसे दण्डित करना चाहते थे और अब इनाम देना चाहते हैं।

मित्रों, अपनी जैसी भावना होती है वैसा ही प्रतिबिंब दूसरे के मन पर पड़ने लगता है। जैसे हम होते है वैसे ही परिस्थितियां हमारी ओर आकर्षित होती हैं। हमारी जैसी सोच होगी वैसे ही लोग हमें मिलेंगे। यहीं इस जगत का नियम है – *हम जैसा बोते हैं वैसा काटते हैं…हम जैसा दूसरों के लिए मन में भाव रखते हैं वैसा ही भाव दूसरों के मन में हमारे प्रति हो जाता है!*
अतः *इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हमेशा औरों के प्रति सकारात्मक भाव रखें।*
     ✴️✴️✴️✴️✴️
🙏🏻🙏🏻🙏

Thursday, November 18, 2021

गुरु नानक जयंती पर विशेष कहानी

¸.•*""*•.¸ 
*Զเधे_Զเधे*

🌹सुप्रभात जी🌹

एक गरीब, एक दिन एक सिक्ख के पास अपनी जमीन बेचने गया बोला सरदार जी मेरी 2 एकड़ जमीन आप रख लो। सिक्ख बोला, क्या कीमत है। गरीब बोला, --50 हजार रुपये। सिक्ख, थोड़ी देर सोच के ..., वो ही खेत जिसमे ट्यूबवेल लगा है।

गरीब --- जी। आप, मुझे 50 हजार से कुछ कम भी देगे, तो जमीन, आपको दे दूँगा।

सिक्ख ने आंखे बंद की 5 मिनिट सोच के... नही, मैं उसकी कीमत 2 लाख रुपये दूँगा।

गरीब... पर मैं 50 हजार ले रहाँ हूँ आप 2 लाख क्यो ??
सिक्ख बोला, तुम जमीन क्यों बेच रहे हो?

गरीब बोला, बेटी की शादी करना है। बच्चो की पढ़ाई की फीस जमा करना है। बहुत कर्ज है। मजबूरी है। इसीलिए मज़बूरी में बेचना है।पर आप 2 लाख क्यों दे रहे हैं?

सिक्ख बोला, *मुझे जमीन खरीदनी है किसी की मजबूरी नही खरीदनी* अगर आपकी जमीन की कीमत मुझें मालूम है। तो मुझें, आपके कर्ज, आपकीं जवाबदेही और मजबूरी का फायदा नही उठाना. मेरा "वाहेगुरू" कभी खुश नहीं होगा।
  
*ऐसी जमीन या कोई भी साधन, जो किसी की मजबूरियों को देख के खरीदे। वो घर और जिंदगी में, सुख नही देते, आने वाली पीढ़ी मिट जाती है।*
 
हे, मेरे मित्र, तुम खुशी खुशी, अपनी बेटी की शादी की तैयारी करो। 50 हजार की हम पूरा गांव व्यवस्था कर लेगें। तेरी जमीन भी तेरी रहेगी।
  
*मेरे, गुरु नानकदेव साहिब ने भी, अपनी बानी में, यही हुक्म दिया है* गरीब हाथ जोड़कर,आखों में नीर भरी खुशी-खुशी दुआयें देता चला गया।
 
ऐसा जीवन, हम भी बना सकते है।

*बस किसी की मजबूरी, न खरीदे। किसी के दर्द, मजबूरी को समझकर, सहयोग करना ही सच्चा तीर्थ है। ... एक यज्ञ है। ...सच्चा कर्म और बन्दगी है।

गुरु नानक जयंती...

*!! Զเधे Զเधे !!*

Wednesday, November 17, 2021

इस जीवन की चादर में

🌹इस जीवन की चादर में*
               *सांसों के ताने बाने हैं*'
           *दुख की थोड़ी सी सलवट है*
                  *सुख के कुछ फूल सुहाने हैं*. 
           *क्यों सोचे आगे क्या होगा*,
                  *अब कल के कौन ठिकाने हैं*,
      *ऊपर बैठा वो बाजीगर* ,
                *जाने क्या मन में ठाने है*
          *चाहे जितना भी जतन करे*
              *भरने का दामन तारों से*,
          *झोली में वो ही आएँगे*,
                 *जो तेरे नाम के दाने है*.""
   🌹👁❗👁🌹

Tuesday, November 16, 2021

आपका जन्म

🌿🔥 *इस पृथ्वी पर अरबो लोग हैं फिर भी आपका जन्म हुआ क्योकि आप का मूल्य बहुत है जो अरब लोग नही कर सकते वो दायित्व ऊपर वाले ने आपको दिये हैं इसीलिए आपका जन्म हुआ* 🔥🌿

🌿🔥 *जिस घड़ी से आपका मन अपने साथ साथ औरों के शुभ के लिए सोचना प्रारंभ कर दे समझ लो सुख शांति व समृद्धि आपके जीवन मे उसी समय से प्रवेश कर जाती है* 🔥🌿

🌿🔥 *ॐ गं गणपतये नमः* 🔥🌿
🌿🔥 *जय श्री महाकाल* 🔥🌿
🌿🔥 *हर हर महादेव* 🔥🌿
🌿🔥 *जय माता की* 🔥🌿

Monday, November 15, 2021

पता नहीं क्यों पापा हमेशा पीछे रह जाते हैं।

*पता नहीं क्यों पापा हमेशा पीछे रह जाते हैं।*

  * 1.  माँ 9 महीने पालती है पापा 25 साल पालते हैं, दोनों एक ही हैं, फिर भी पता नहीं क्यों पापा पीछे हैं।

  * 2.  माँ बिना तनख्वाह के परिवार के लिए काम करती है, पिता अपनी सारी तनख्वाह परिवार के लिए खर्च कर देता है, दोनों के प्रयास एक ही हैं, फिर भी पता नहीं क्यों पिता पीछे है।

  * 3.  माँ जो चाहती है पकाती है, बाप जो चाहता है खरीदता है, दोनों का प्यार एक ही है, लेकिन माँ के प्यार को सबसे अच्छा दिखाया जाता है।  पता नहीं पापा क्यों पीछे रह रहे हैं।*

  * 4.  जब आप फोन पर बात करते हैं, तो आप पहले माँ से बात करना चाहते हैं, अगर आप दुखी हैं तो आप 'माँ' कहते हैं और रोते हैं।  आप पिताजी को तभी याद करेंगे जब आपको आवश्यकता होगी, लेकिन पिताजी को कभी बुरा नहीं लगा कि आपने उन्हें दूसरी बार याद नहीं किया?  नाती-पोतों/बच्चों से प्यार पाने की बात आती है तो पता नहीं पापा क्यों पिछड़ रहे हैं।*

  * 5.  मम्मी के लिए रंग-बिरंगी साड़ियों और ढेर सारे कपड़ों से भरी अलमारी होगी, लेकिन पापा के कपड़े बहुत कम हैं, उन्हें अपनी जरूरतों की परवाह नहीं है, फिर भी पता नहीं क्यों पापा पीछे हैं।

  * 6.  माँ के पास सोने के बहुत सारे गहने हैं, लेकिन पिताजी के पास एक ही अंगूठी है जो उनकी शादी के दौरान दी गई थी।  फिर भी माँ कम गहनों की शिकायत कर सकती हैं और पिताजी नहीं करते।  पता नहीं क्यों पापा पीछे रह गए।*

  * 7.  परिवार को पालने के लिए पापा जी-जान से मेहनत करते हैं, लेकिन जब पहचान बनाने की बात आती है तो पता नहीं क्यों हमेशा पीछे रह जाते हैं।

  * 8.  माँ कहती है कि मुझे इस महीने कॉलेज की ट्यूशन फीस देनी है, कृपया त्योहार पर मेरे लिए साड़ी न खरीदें, जबकि पिताजी ने नए कपड़ों के बारे में सोचा भी नहीं है।  वे दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं, लेकिन वे अभी भी नहीं जानते कि पिताजी पीछे क्यों रह रहे हैं। *

  * 9.  जैसे-जैसे माता-पिता बड़े होते जाते हैं, बच्चे कहते हैं कि माँ घर के कामों में सबसे कम काम आती है, लेकिन वे कहते हैं कि पिताजी बेकार हैं। *

  * पिताजी पीछे हैं (या 'पीछे') क्योंकि वे परिवार की रीढ़ हैं।  इससे हम अपने दोनों पैरों पर खड़े हो पाते हैं।  शायद यही वजह है कि वो पीछे है....!!!*

  *सभी पिताओं को समर्पित*

Sunday, November 14, 2021

आज की प्रेरणा - Today's Inspiration

      *✨💧✨ आज की प्रेरणा ✨💧✨*
 
हमारी पहचान हमारे बार-बार किये गए कर्मों से ही होती है। श्रेष्ठता कोई कर्म नहीं है बल्कि हमारी आदत है।

*आज से हम* श्रेष्ठता को अपनी आदत बनाएं...

*✨💧✨ TODAY'S INSPIRATION ✨💧✨*

We are what we repeatedly do. Excellence, then, is not an act, but a habit.

*TODAY ONWARDS LET'S* make excellence our habit.

🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃

Friday, November 12, 2021

उम्रदराज न बनें

*उम्रदराज न बनें*:

*उम्र को दराज़ में रख दें*
*खो जाएं ज़िन्दगी में*
*मौत का इन्तज़ार न करें*

*जिनको आना है आए*
*जिसको जाना है जाए*
*पर हमें जीना है*
*ये न भूल जाएं*

*जिनसे मिलता है प्यार*
*उनसे ही मिलें बार बार*

*महफिलों का शौक रखें*
*दोस्तों से प्यार करें*
*जो रिश्ते हमें समझ सकें*
*उन रिश्तों की कद्र करें*

*बंधें नहीं किसी से भी*
*ना किसी को बँधने पर*
*मजबूर करें*
*दिल से जोड़ें हर रिश्ता*
*और उन रिश्तों से दिल से जुड़े रहें*

*हँसना अच्छा होता है*
*पर अपनों के लिये*
*रोया भी करें*
*याद आएं कभी अपने तो*
*आँखें अपनी नम भी करें*

*ज़िन्दगी चार दिन की है*
*तो फिर शिकवे शिकायतें*
*कम ही करें*
*उम्र को दराज़ में रख दें*
*उम्रदराज़ न बनें।*

कुछ बातें जीवन के लिए।‌ Some thoughts about Life

♦️ *रिश्ते और रास्ते*
       *तब ख़त्म हो जाते हैँ*
        *जब पाँव नहीं*
        *दिल थक जाते है.....*

 ♦️ *कृतज्ञता व्यक्त करना और क्षमा माँगना*
        *दो गुण जिस व्यक्ति के पास है*
       *वो सबके क़रीब... और ...*
       *सबके लिए प्रिय होता है ...*

♦️ *कुछ बातों के मतलब और*
       *कुछ मतलब की बातें..*
       *जब व्यक्ति दोनों को*
       *समझने लगता है*
       *सच में तभी जिंदगी सुलझी*
       *हुई नज़र आने लगती है..!!*

♦️ *मौन किसी मानव की*
       *कमजोरी नहीं* ....
       *उसका बड़प्पन होता है*
       *वरना जिस को सहना आता है*
       *उसको कहना भी आता है*

♦️ *परमात्मा सभी को एक ही*
       *मिट्टी से बनाता है*
       *...बस फर्क इतना है कि....*
       *कोई बाहर से खूबसूरत होता है*
       *.... तो कोई भीतर से...*

          
   🐚🐚🐚🐚🐚🐚🐚🐚🐚

     *🙏🏻🌄शुभ प्रभात🌄🙏🏻*

   *_🙏🏻🌹जय श्री श्याम🌹🙏🏻_*

Saturday, October 23, 2021

धैर्य और सहिष्णुता की मानसिकता - सत्य कथा

अफ्रीका के राष्ट्रपति बनने के बाद नेल्सन मांडेला अपने सुरक्षा कर्मियों के साथ एक रेस्तरां में खाना खाने गए।सबने अपनी अपनी पसंद का खाना आर्डर किया और खाना आने का इंतजार करने लगे। उसी समय मांडेला की सीट के सामने वाली सीट पर एक व्यक्ति अपने खाने का इंतजार कर रहा था। 
मांडेला ने अपने सुरक्षाकर्मी से कहा कि उसे भी अपनी टेबल पर बुला लो। ऐसा ही हुआ खाना आने के बाद सभी खाने लगे, वो आदमी भी अपना खाना खाने लगा , पर उसके हाथ खाते हुए कांप रहे थे। खाना खत्म कर वो आदमी सिर झुका कर रेस्तरां से बाहर निकल गया । 

उस आदमी के जाने के बाद मंडेला के सुरक्षा अधिकारी ने मंडेला से कहा कि वो व्यक्ति शायद बहुत बीमार था, खाते वख़्त उसके हाथ लगातार कांप रहे थे और वह ख़ुद भी कांप रहा था । मांडेला ने कहा नहीं ऐसा नहीं है । वह उस जेल का जेलर था, जिसमें मुझे कैद रखा गया था । जब कभी मुझे यातनाएं दी जाती थीं और मै कराहते हुए पानी मांगता था तो ये मेरे ऊपर पेशाब करता था ।

मांडेला ने कहा मै अब राष्ट्रपति बन गया हूं, उसने समझा कि मै भी उसके साथ शायद वैसा ही व्यवहार करूंगा । पर मेरा चरित्र ऐसा नहीं है । मुझे लगता है बदले की भावना से काम करना विनाश की ओर ले जाता है ।वहीं धैर्य और सहिष्णुता की मानसिकता हमें विकास की ओर ले जाती है ।

Tuesday, September 14, 2021

सहायता - सत्य कथा

मुंबई से बैंगलुरू जा रही ट्रेन में सफ़र के दौरान टीसी ने सीट के नीचे छिपी लगभग तेरह / चौदह साल की लड़की से कहा - टीसी ' टिकट कहाँ है ?'

काँपती हुई लडकी "नहीं है साहब ।"
टी सी "तो गाड़ी से उतरो ।"
इसका टिकट मैं दे रही हूँ  . . .पीछे से सह यात्री ऊषा भट्टाचार्य की आवाज आई, जो पेशे से प्रोफेसर थी ।

ऊषा जी- "तुम्हें कहाँ जाना है" ?
लड़की - "पता नहीं मैम !"
ऊषा जी - "तब मेरे साथ चलो ,बैंगलोर तक !" 

ऊषा जी- "तुम्हारा नाम क्या है ?" 
लड़की - "चित्रा" . .   ।

बैंगलुरू पहुँच कर ऊषाजी ने चित्रा को अपनी जान पहचान की स्वंयसेवी संस्था को सौंप दिया और ऐक अच्छे स्कूल में भी एडमीशन करवा दिया। जल्द ही ऊषा जी का ट्रांसफर दिल्ली हो गया जिसके कारण चित्रा से संपर्क टूट गया, कभी-कभार केवल फोन पर बात हो जाया करती थी।  करीब बीस साल बाद ऊषाजी को एक लेक्चर के लिए सेन फ्रांसिस्को (अमरीका) बुलाया गया । लेक्चर के बाद जब वह होटल का बिल देने रिसेप्सन पर गईं तो पता चला पीछे खड़े एक खूबसूरत दंपत्ति ने बिल चुका  दिया था। ऊषाजी "तुमने मेरा बिल क्यों भरा ?" 

मैम, यह मुम्बई से बैंगलुरू तक के रेल टिकट के सामने कुछ भी नहीं है ।

ऊषाजी ' अरे चित्रा !' . . .
चित्रा और कोई नहीं बल्कि इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरमैन सुधा मुर्ति थीं, जो इंफोसिस के संस्थापक श्री नारायण मूर्ति की पत्नी हैं ।

यह लघु कथा उन्ही की लिखी पुस्तक *"द डे आई स्टाॅप्ड ड्रिंकिंग मिल्क"* से ली गई है ।

कभी कभी आपके द्वारा की गई किसी की सहायता, किसी का जीवन बदल सकती है ।

 सदैव प्रसन्न रहिये और याद रखिये-
*जो प्राप्त है वो पर्याप्त है ।*
*जिसका मन मस्त है*
*उसके पास समस्त है।*
🌺💥💐💫🌸✨🌷🪐

Friday, July 16, 2021

प्रार्थना का मोल

एक वृद्ध महिला एक सब्जी की दुकान पर जाती है, उसके पास सब्जी खरीदने के पैसे नहीं होते है।

वो दुकानदार से *प्रार्थना* करती है कि उसे सब्जी उधार दे दे पर दुकानदार मना कर देता है।

उसके बार-बार आग्रह करने पर दुकानदार खीज कर कहता है, तुम्हारे पास कुछ ऐसा है , जिसकी कोई कीमत हो , तो उसे इस तराजू पर रख दो, मैं उसके वज़न के बराबर सब्जी तुम्हे दे दूंगा।

वृद्ध महिला कुछ देर सोच में पड़ जाती है।क्योंकि उसके पास ऐसा कुछ भी नहीं था।

कुछ देर सोचने के बाद वह, *एक मुड़ा-तुड़ा कागज़ का टुकड़ा* निकलती है और उस पर कुछ लिख कर *तराजू* पर रख देती है।

दुकानदार ये देख कर हंसने लगता है। फिर भी वह थोड़ी सब्जी उठाकर तराजू पर रखता है।आश्चर्य...!!! कागज़ वाला पलड़ा नीचे रहता है और सब्जी वाला ऊपर उठ जाता है।

इस तरह वो और सब्जी रखता जाता है पर कागज़ वाला पलड़ा नीचे नहीं होता।

तंग आकर दुकानदार उस कागज़ को उठा कर पढता है और हैरान रह जाता है!

कागज़ पर लिख था की *परमात्त्मा आप सर्वज्ञ हो, अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है.

दुकानदार को अपनी *आँखों* पर यकीन नहीं हो रहा था।

वो उतनी सब्जी वृद्ध महिला को दे देता है।

पास खड़ा एक अन्य ग्राहक दुकानदार को समझाता है, कि दोस्त, आश्चर्य मत करो।

केवल परमात्मा ही जानते हैं की प्रार्थना का क्या मोल होता है।

वास्तव में प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है।
चाहे वो एक घंटे की हो या एक मिनट की।
यदि सच्चे मन से की जाये, तो ईश्वर अवश्य सहायता करते हैं..!!

अक्सर लोगों के पास ये बहाना होता है, की हमारे पास वक्त नहीं।

मगर सच तो ये है कि परमात्मा को याद करने का कोई समय नहीं होता...!!

प्रार्थना के द्वारा मन के विकार दूर होते हैं, और एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का बल मिलता है।

ज़रूरी नहीं की कुछ मांगने के लिए ही प्रार्थना की जाये।

जो आपके पास है उसका धन्यवाद करना चाहिए।

इससे आपके अन्दर का अहम् नष्ट होगा और एक कहीं अधिक समर्थ व्यक्तित्व का निर्माण होगा।

प्रार्थना करते समय मन को ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध घृणा जैसे विकारों से मुक्त रखे..!!


🙏🌹🙏🙇‍♀

Wednesday, June 23, 2021

भगवान का घर

*भगवान का घर*

   कल दोपहर में मैं बैंक में गया था। वहाँ एक बुजुर्ग भी उनके काम से आये थे। वहाँ वह कुछ काम की बात ढूंढ रहे थे। मुझे लगा शायद उन्हें पेन चाहिये। इसलिये उनसे पूछा तो, वह बोले "बीमारी के कारण मेरे हाथ कांप रहे हैं और मुझे पैसे निकालने की स्लिप भरनी है। उसके लिये मैं देख रहा हूँ कि किसी की मदद मिल जाये तो अच्छा हो।"
   मैं बोला "आपको कोई हर्ज न हो तो मैं आपकी स्लिप भर दूँ?"
   अपनी परेशानी दूर होती देख उन्होंने मुझे स्लिप भरने की अनुमति दे दी। मैंने उनसे पूछकर स्लिप भर दी।
   रकम निकाल कर उन्होंने मुझसे पैसे गिनने को कहा। मैंने पैसे गिनकर उन्हें वापस कर दिये।
  मेरा और उनका काम लगभग साथ ही समाप्त हुआ तो, हम दोनों एक साथ ही बैंक से बाहर निकले तो, वह बोले "साॅरी तुम्हें थोड़ा कष्ट तो होगा। परन्तु मुझे रिक्षा करवा दोगे क्या? भरी दोपहरिया में रिक्षा मिलना कष्टकारी होता है।"
मैं बोला "मुझे भी उसी तरफ जाना है। मैं तुम्हें कार से घर छोड़ देता हूँ। चलेगा क्या?" 
वह तैयार हो गये। हम उनके घर पहुँचे। घर क्या बंगला कह सकते हो। 60' × 100' के प्लॉट पर बना हुआ। घर में उनकी वृद्ध पत्नी थी। वह थोड़ी डर गई कि इनको कुछ हो तो नहीं गया जिससे उन्हें छोड़ने एक अपरिचित व्यक्ति घर तक आया है। फिर उन्होंने पत्नी के चेहरे पर आये भावों को पढ़कर कहा कि" चिंता की कोई बात नहीं। यह मुझे छोड़ने आये हैं।"
   फिर हमारी थोड़ी बातचीत हुई। उनसे बातचीत में वह बोले "इस *भगवान के घर* में हम दोनों पति-पत्नी ही रहते हैं। हमारे बच्चे विदेश में रहते हैं।" 
   मैंने जब उन्हें *भगवान के घर* के बारे में पूछा तो कहने लगे
   "हमारे घर में *भगवान का घर* कहने की पुरानी परंपरा है। इसके पीछे की भावना है कि यह घर भगवान का है और हम उस घर में रहते हैं। लोग कहते हैं कि *घर हमारा और भगवान हमारे घर में रहते हैं।*"
   मैंने विचार किया कि, दोनों कथनों में कितना अंतर है। तदुपरांत वह बोले...
  " भगवान का घर बोला तो अपने से कोई नकारात्मक कार्य नहीं होते हमेशा सदविचारों से ओत प्रेत रहते हैं।"
 बाद में मजाकिया लहजे में बोले ...
  " लोग मृत्यु उपरान्त भगवान के घर जाते हैं परन्तु हम तो जीते जी ही भगवान के घर का आनंद ले रहे हैं।"
   यह वाक्य अर्थात ही जैसे भगवान ने दिया कोई प्रसाद ही है।  उन बुजुर्ग को घर छोड़ने की बुद्धि शायद भगवान ने ही मुझे दी होगी। 
   *घर भगवान का और हम उनके घर में रहते हैं*

   यह वाक्य बहुत देर तक मेरे दिमाग में घूमता रहा। सही में कितने अलग विचार थे वे। जैसे विचार वैसा आचार। इसलिये वह उत्तम होगा ही इसमें कोई शंका नहीं,।
🙏🙏

Sunday, May 30, 2021

पॉजिटिविटी

एक नर्स  लंदन में ऑपरेशन से दो yघंटे पहले मरीज़ के कमरे में घुसकर कमरे में रखे गुलदस्ते को संवारने और ठीक करने लगी। 

ऐसे ही जब वो अपने पूरे लगन के साथ काम में लगी थी, तभी अचानक उसने मरीज़ से पूछा "सर आपका ऑपरेशन कौन सा डॉक्टर कर रहा है?"

नर्स को देखे बिना मरीज़ ने अनमने से लहजे में कहा "डॉ. जबसन।"

नर्स ने डॉक्टर का नाम सुना और आश्चर्य से अपना काम छोड़ते हुये मरीज़ के पास पहुँची और पूछा "सर, क्या डॉ. जबसन ने वास्तव में आपके ऑपरेशन को स्वीकार किया हैं?

मरीज़ ने कहा "हाँ, मेरा ऑपरेशन वही कर रहे हैं।"

नर्स ने कहा "बड़ी अजीब बात है, विश्वास नहीं होता"

परेशान होते हुए मरीज़ ने पूछा "लेकिन इसमें ऐसी क्या अजीब बात है?"

नर्स ने कहा "वास्तव में इस डॉक्टर ने अब तक हजारों ऑपरेशन किये हैं उसके ऑपरेशन में सफलता का अनुपात 100 प्रतिशत है । इनकी तीव्र व्यस्तता की वजह से  इन्हें समय निकालना बहुत मुश्किल होता है। मैं हैरान हूँ आपका ऑपरेशन करने के लिए उन्हें फुर्सत कैसे मिली?

मरीज़ ने नर्स से कहा "ये मेरी अच्छी किस्मत है कि डॉ जबसन को फुरसत मिली और वह मेरा ऑपरेशन कर रहे हैं ।

नर्स ने एक बार बार कहा "यकीन मानिए, मेरा हैरत अभी भी बरकरार है कि दुनिया का सबसे अच्छा डॉक्टर आपका ऑपरेशन कर रहा है!!"

इस बातचीत के बाद मरीज को ऑपरेशन थिएटर में पहुंचा दिया गया, मरीज़ का सफल ऑपरेशन हुआ और अब मरीज़ हँस कर अपनी जिंदगी जी रहा है।

मरीज़ के कमरे में आई महिला कोई साधारण नर्स नहीं थी, बल्कि उसी अस्पताल की मनोवैज्ञानिक महिला डॉक्टर थी, जिसका काम मरीजों को मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से संचालित करना था, जिसके कारण उसे संतुष्ट करना था जिस पर मरीज़ शक भी नहीं कर सकता था। और इस बार इस महिला डॉक्टर ने अपना काम मरीज़ के कमरे में गुलदस्ता सजाते हुये कर दिया था और बहुत खूबसूरती से मरीज़ के दिल और दिमाग में बिठा दिया था कि जो डॉक्टर इसका ऑपरेशन करेगा वो दुनिया का मशहूर और सबसे सफल डॉक्टर है जिसका हर ऑपरेशन सफल ऑपरेशन होता है और इसी पॉजिटिविटी ने मरीज के अन्दर के डर को खत्म कर दिया था। और वह ऑपरेशन थियेटर के अन्दर यह सोचकर गया कि अब तो मेरा आपरेशन सक्सेज होकर रहेगा , मैं बेकार में इतनी चिन्ता कर रहा था। 

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"पॉजिटिविटी दीजिये लोगों को...यह आपदा काल है, इस आपदा काल में आप लोगों की जितनी पॉजिटिविटी बढ़ा सकें उतनी बढ़ाइये , क्योंकि इस समय यह काम ईश्वर की वन्दना से भी बढ़कर है।"

Wednesday, May 26, 2021

ठाकुर जी की मुरली

किसी गांव में एक पुजारी अपने बेटे के साथ रहता था। 
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पुजारी हर रोज ठाकुर जी और किशोरी जी की सेवा मन्दिर में बड़ी श्रद्धा भाव से किया करता था। 
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उसका बेटा भी धोती कुर्ता डालकर सिर पर छोटी सी चोटी करके पुजारी जी के पास उनको सेवा करते देखता था।
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एक दिन वह बोला बाबा आप अकेले ही सेवा करते हो मुझे भी सेवा करनी है.. 
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परन्तु पुजारी जी बोले बेटा अभी तुम बहुत छोटे हो... परन्तु वह जिद पकड़ कर बैठ गया। 
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पुजारी जी आखिर उसकी हठ के आगे झुक कर बोले अच्छा बेटा तुम ठाकुर जी की मुरली की सेवा किया करो... 
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इसको रोज गंगाजल से स्नान कराकर इत्र लगाकर साफ किया करो।
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अब तो वह बालक बहुत खुशी से मुरली की सेवा करने लगा। 
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इतनी लगन से मुरली की सेवा करते देखकर हर भक्त बहुत प्रसन्न होता तो ऐसे ही मुरली की सेवा करने से उसका नाम "मुरली" ही पड़ गया। 
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अब तो पुजारी ठाकुर और ठकुरानी की सेवा करते और मुरली ठाकुर जी की मुरली की।
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ऐसे ही समय बहुत अच्छे से बीत रहा था कि एक दिन पुजारी जी बीमार पड़ गए.. मन्दिर के रखरखाव और ठाकुर जी की सेवा में बहुत ही मुश्किल आने लगी। 
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अब उस पुजारी की जगह मन्दिर में नए पुजारी को रखा गया... 
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वह पुजारी बहुत ही घमण्डी था, वह मुरली को मन्दिर के अंदर भी आने नहीं देता था 
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अब मुरली के बाबा ठीक होने की बजाय और बीमार हो गए और एक दिन उनका लंबी बीमारी के बाद स्वर्गवास हो गया।
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अब तो मुरली पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया... नए पुजारी ने मुरली को धक्के मारकर मन्दिर से बाहर निकाल दिया। 
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मुरली को अब अपने बाबा और ठाकुर जी की मुरली की बहुत याद आने लगी। 
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मन्दिर से निकलकर वह शहर जाने वाली सड़क की ओर जाने लगा... थक हार कर वह एक सड़क के किनारे पड़े पत्थर पर बैठ गया।
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सर्दी के दिन ऊपर से रात पढ़ने वाली थी मुरली का भूख और ठंड के कारण बुरा हाल हो रहा था 
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रात होने के कारण उसे थोड़ा डर भी लग रहा था। 
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तभी ठाकुर जी की कृपा से वहाँ से एक सज्जन पुरुष "रामपाल" की गाड़ी निकली 
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इतनी ठंड और रात को एक छोटे बालक को सड़क किनारे बैठा देखकर वह गाड़ी से नीचे उतर कर आए और बालक को वहाँ बैठने का कारण पूछा। 
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मुरली रोता हुआ बोला कि उसका कोई नहीं है। बाबा भगवान् के पास चले गए। 
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सज्जन पुरुष को मुरली पर बहुत दया आई क्योंकि उसका अपना बेटा भी मुरली की उम्र का ही था। वह उसको अपने साथ अपने घर ले गए।
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जब घर पहुँचा तो उसकी पत्नी जो की बहुत ही घमण्डी थी, उस बालक को देखकर अपने पति से बोली यह किस को ले आए हो 
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वह व्यक्ति बोला कि आज से मुरली यही रहेगा उसकी पत्नी को बहुत गुस्सा आया लेकिन पति के आगे उसकी एक ना चली।
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मुरली उसे एक आँख भी नहीं भाता था। वह मौके की तलाश में रहती कि कब मुरली को नुकसान पहुँचाए 
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एक दिन वह सुबह 4:00 बजे उठी और पांव की ठोकर से मुरली को मारते हुए बोली कि उठो कब तक मुफ्त में खाता रहेगा 
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मुरली हड़बड़ा कर उठा और कहता मां जी क्या हुआ तो वह बोली कि आज से बाबूजी के उठने से पहले सारा घर का काम किया कर। 
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मुरली ने हाँ में सिर हिलाता हुआ सब काम करने लगा अब तो हर रोज ही मां जी पाव की ठोकर से मुरली को उठाती और काम करवाती।
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मुरली जो कि उस घर के बने हुए मन्दिर के बाहर चटाई बिछाकर सोता था। 
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रामपाल की पत्नी उसको घर के मन्दिर मे नही जाने देती थी... इसका कारण यह था कि मन्दिर मे रामपाल के पूर्वजो की बनवाई चांदी की मोटी सी ठाकुर जी की मुरली पड़ी हुई थी। 
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मुरली ठाकुर जी की मुरली को देख कर बहुत खुश होता, उसको तो रामपाल की पत्नी जो ठोकर मारती थी दर्द का एहसास भी नहीं होता था।
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एक दिन रामपाल हरिद्वार गंगा स्नान को जाने लगा तो मुरली को भी साथ ले गया। 
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वहाँ गंगा स्नान करते हुए अचानक रामपाल का ध्यान मुरली की कमर के पास पेट पर बने पंजो के निशान को देख कर तो वह हैरान हो गया 
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उसने मुरली से इसके बारे में पूछा तो वह टाल गया। 
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अब रामपाल गंगा स्नान करके घर पहुँचा तो घर में ठाकुर जी की और किशोरी जी को स्नान कराने लगा...
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बाद में अपने पूर्वजों की निशानी ठाकुर जी की मुरली को भी गंगा स्नान कराने लगा.. 
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तभी उसका ध्यान ठाकुर जी की मुरली के मध्य भाग पर पड़ा.. वहाँ पर पांव की चोट के निशान से पंजा बना था... जैसे मुरली की कमर पर बना था... 
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तो वह देख कर हैरान हो गया कि एक जैसे निशान दोनों के कैसे हो सकते हैं.. वह कुछ नहीं समझ पा रहा था।
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रात को अचानक जब उसकी नींद खुली तो वह देखता है कि उसकी पत्नी मुरली को पांव की ठोकर से उसी जगह पर मार कर उठा रही है... 
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उसको अब सब समझते देर न लगी... 
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रामपाल को उसी रात कोई काम था। जिस कारण रामपाल ने मुरली को रात अपने कमरे मे ही सुला लिया !
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रामपाल रात को मन्दिर मे ठाकुर जी को विश्राम करवाने के बाद दरवाजा लगाने के लिए कांच का दरवाजा मन्दिर के बाहर की और खुला रख आए ! 
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उसकी पत्नी रोज की तरह आई और ठोकर मार कर मुरली को उठाने लगी... 
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मुरली तो वहाँ था नहीं और उसका पांव मन्दिर के बाहर दरवाजे पर लगा.. और उसका पैर खून खून हो गया.. वह दर्द से कराहने लगी।
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उसके चीखने की आवाज सुनकर रामपाल उठ गया... और उसको देखकर बोला कि यह क्या हुआ...
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उसने कहा कि यह कांच के दरवाजे की ठोकर लग गयी... 
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रामपाल बोला कि जो ठोकर तुम रोज मुरली को मारती रही ठाकुर जी की मुरली उस का सारा दर्द ले लेती थी... 
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जो ठाकुर जी को प्यारे होते हैं भगवान् उनकी रक्षा करते हैं... 
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देखो भगवान् की मुरली भी अपने सेवक की रक्षा करती है.. उसकी पीड़ा अपने ऊपर ले लेती है.. 
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रामपाल की पत्नी को उसकी सजा मिल गई.. जिससे मुरली को ठोकर मारती थी आज वह पंजा डाक्टर ने काट दिया..
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रामपाल की पत्नी को अपनी भूल का एहसास हो गया था और अब वह मुरली का अपने बेटे की तरह ही ध्यान रखती थी।
जय जय श्री राधे