Friday, November 19, 2021

राजाभोज और व्यापारी

*राजाभोज और व्यापारी*

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यह एक मनोवैज्ञानिक सत्य है कि जैसा भाव हमारे मन मेे होता है वैसा ही भाव सामने वाले के मन में आता है। इस सबंध में एक ऐतिहासिक घटना सुनी जाती है जो इस प्रकार है-

एक बार राजा भोज की सभा में एक व्यापारी ने प्रवेश किया। राजा ने उसे देखा तो देखते ही उनके मन में आया कि इस व्यापारी का सबकुछ छीन लिया जाना चाहिए। व्यापारी के जाने के बाद राजा ने सोचा –

मै प्रजा को हमेशा न्याय देता हूं। आज मेेरे मन में यह अन्याय पूर्ण भाव क्यों आ गया कि व्यापारी की संपत्ति छीन ली जाये?

उसने अपने मंत्री से सवाल किया मंत्री ने कहा, “इसका सही जवाब कुछ दिन बाद दे पाउंगा, राजा ने मंत्री की बात स्वीकार कर ली। मंत्री विलक्षण बुद्धि का था वह इधर-उधर के सोच-विचार में सयम न खोकर सीधा व्यापारी से मिलने पहूंचा। व्यापारी से दोस्ती करके उसने व्यापारी से पूछा, “तुम इतने चिंतित और दुखी क्यों हो? तुम तो भारी मुनाफे वाला चंदन का व्यापार करते हो।”

व्यापारी बोला, “धारा नगरी सहित मैं कई नगरों में चंदन की गाडीयां भरे फिर रहा हूं, पर चंदन इस बार चन्दन की बिक्री ही नहीं हुई! बहुत सारा धन इसमें फंसा पडा है। अब नुकसान से बच पाने का कोई उपाय नहीं है।

व्यापारी की बातें सुन मंत्री ने पूछा, “क्या अब कोई भी रास्ता नही बचा है?”

व्यापारी हंस कर कहने लगा अगर राजा भोज की मृत्यु हो जाये तो उनके दाह-संस्कार के लिए सारा चंदन बिक सकता है।

मंत्री को राजा का उत्तर देने की सामग्री मिल चुकी थी। अगले दिन मंत्री ने व्यापारी से कहा कि, तुम प्रतिदिन राजा का भोजन पकाने के लिए एक मन ४० किलो चंदन दे दिया करो और नगद पैसे उसी समय ले लिया करो। व्यापारी मंत्री के आदेश को सुनकर बड़ा खुश हुूआ। वह अब मन ही मन राजा की लंबी उम्र होने की कामना करने लगा।

एक दिन राज-सभा चल रही थी। व्यापारी दोबारा राजा को वहां दिखाई दे गया। तो राजा सोचने लगा यह कितना आकर्षक व्यक्ति है इसे क्या पुरस्कार दिया जाये?

राजा ने मंत्री को बुलाया और पूछा, “मंत्रीवर, यह व्यापारी जब पहली बार आया था तब मैंने तुमसे कुछ पूछा था, उसका उत्तर तुमने अभी तक नहीं दिया। खैर, आज जब मैंने इसे देखा तो मेरे मन का भाव बदल गया! पता नहीं आज मैं इसपर खुश क्यों हो रहा हूँ और इसे इनाम देना चाहता हूँ!

मंत्री को तो जैसे इसी क्षण की प्रतीक्षा थी। उसने समझाया-

महाराज! दोनों ही प्रश्नों का उत्तर आज दे रहा हूं। जब यह पहले आया था तब अपनी चन्दन की लकड़ियों का ढेर बेंचने के लिए आपकी मृत्यु के बारे में सोच रहा था। लेकिन अब यह रोज आपके भोजन के लिए एक मन लकड़ियाँ देता है इसलिए अब ये आपके लम्बे जीवन की कामना करता है। यही कारण है कि पहले आप इसे दण्डित करना चाहते थे और अब इनाम देना चाहते हैं।

मित्रों, अपनी जैसी भावना होती है वैसा ही प्रतिबिंब दूसरे के मन पर पड़ने लगता है। जैसे हम होते है वैसे ही परिस्थितियां हमारी ओर आकर्षित होती हैं। हमारी जैसी सोच होगी वैसे ही लोग हमें मिलेंगे। यहीं इस जगत का नियम है – *हम जैसा बोते हैं वैसा काटते हैं…हम जैसा दूसरों के लिए मन में भाव रखते हैं वैसा ही भाव दूसरों के मन में हमारे प्रति हो जाता है!*
अतः *इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि हमेशा औरों के प्रति सकारात्मक भाव रखें।*
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Thursday, November 18, 2021

गुरु नानक जयंती पर विशेष कहानी

¸.•*""*•.¸ 
*Զเधे_Զเधे*

🌹सुप्रभात जी🌹

एक गरीब, एक दिन एक सिक्ख के पास अपनी जमीन बेचने गया बोला सरदार जी मेरी 2 एकड़ जमीन आप रख लो। सिक्ख बोला, क्या कीमत है। गरीब बोला, --50 हजार रुपये। सिक्ख, थोड़ी देर सोच के ..., वो ही खेत जिसमे ट्यूबवेल लगा है।

गरीब --- जी। आप, मुझे 50 हजार से कुछ कम भी देगे, तो जमीन, आपको दे दूँगा।

सिक्ख ने आंखे बंद की 5 मिनिट सोच के... नही, मैं उसकी कीमत 2 लाख रुपये दूँगा।

गरीब... पर मैं 50 हजार ले रहाँ हूँ आप 2 लाख क्यो ??
सिक्ख बोला, तुम जमीन क्यों बेच रहे हो?

गरीब बोला, बेटी की शादी करना है। बच्चो की पढ़ाई की फीस जमा करना है। बहुत कर्ज है। मजबूरी है। इसीलिए मज़बूरी में बेचना है।पर आप 2 लाख क्यों दे रहे हैं?

सिक्ख बोला, *मुझे जमीन खरीदनी है किसी की मजबूरी नही खरीदनी* अगर आपकी जमीन की कीमत मुझें मालूम है। तो मुझें, आपके कर्ज, आपकीं जवाबदेही और मजबूरी का फायदा नही उठाना. मेरा "वाहेगुरू" कभी खुश नहीं होगा।
  
*ऐसी जमीन या कोई भी साधन, जो किसी की मजबूरियों को देख के खरीदे। वो घर और जिंदगी में, सुख नही देते, आने वाली पीढ़ी मिट जाती है।*
 
हे, मेरे मित्र, तुम खुशी खुशी, अपनी बेटी की शादी की तैयारी करो। 50 हजार की हम पूरा गांव व्यवस्था कर लेगें। तेरी जमीन भी तेरी रहेगी।
  
*मेरे, गुरु नानकदेव साहिब ने भी, अपनी बानी में, यही हुक्म दिया है* गरीब हाथ जोड़कर,आखों में नीर भरी खुशी-खुशी दुआयें देता चला गया।
 
ऐसा जीवन, हम भी बना सकते है।

*बस किसी की मजबूरी, न खरीदे। किसी के दर्द, मजबूरी को समझकर, सहयोग करना ही सच्चा तीर्थ है। ... एक यज्ञ है। ...सच्चा कर्म और बन्दगी है।

गुरु नानक जयंती...

*!! Զเधे Զเधे !!*

Wednesday, November 17, 2021

इस जीवन की चादर में

🌹इस जीवन की चादर में*
               *सांसों के ताने बाने हैं*'
           *दुख की थोड़ी सी सलवट है*
                  *सुख के कुछ फूल सुहाने हैं*. 
           *क्यों सोचे आगे क्या होगा*,
                  *अब कल के कौन ठिकाने हैं*,
      *ऊपर बैठा वो बाजीगर* ,
                *जाने क्या मन में ठाने है*
          *चाहे जितना भी जतन करे*
              *भरने का दामन तारों से*,
          *झोली में वो ही आएँगे*,
                 *जो तेरे नाम के दाने है*.""
   🌹👁❗👁🌹

Tuesday, November 16, 2021

आपका जन्म

🌿🔥 *इस पृथ्वी पर अरबो लोग हैं फिर भी आपका जन्म हुआ क्योकि आप का मूल्य बहुत है जो अरब लोग नही कर सकते वो दायित्व ऊपर वाले ने आपको दिये हैं इसीलिए आपका जन्म हुआ* 🔥🌿

🌿🔥 *जिस घड़ी से आपका मन अपने साथ साथ औरों के शुभ के लिए सोचना प्रारंभ कर दे समझ लो सुख शांति व समृद्धि आपके जीवन मे उसी समय से प्रवेश कर जाती है* 🔥🌿

🌿🔥 *ॐ गं गणपतये नमः* 🔥🌿
🌿🔥 *जय श्री महाकाल* 🔥🌿
🌿🔥 *हर हर महादेव* 🔥🌿
🌿🔥 *जय माता की* 🔥🌿

Monday, November 15, 2021

पता नहीं क्यों पापा हमेशा पीछे रह जाते हैं।

*पता नहीं क्यों पापा हमेशा पीछे रह जाते हैं।*

  * 1.  माँ 9 महीने पालती है पापा 25 साल पालते हैं, दोनों एक ही हैं, फिर भी पता नहीं क्यों पापा पीछे हैं।

  * 2.  माँ बिना तनख्वाह के परिवार के लिए काम करती है, पिता अपनी सारी तनख्वाह परिवार के लिए खर्च कर देता है, दोनों के प्रयास एक ही हैं, फिर भी पता नहीं क्यों पिता पीछे है।

  * 3.  माँ जो चाहती है पकाती है, बाप जो चाहता है खरीदता है, दोनों का प्यार एक ही है, लेकिन माँ के प्यार को सबसे अच्छा दिखाया जाता है।  पता नहीं पापा क्यों पीछे रह रहे हैं।*

  * 4.  जब आप फोन पर बात करते हैं, तो आप पहले माँ से बात करना चाहते हैं, अगर आप दुखी हैं तो आप 'माँ' कहते हैं और रोते हैं।  आप पिताजी को तभी याद करेंगे जब आपको आवश्यकता होगी, लेकिन पिताजी को कभी बुरा नहीं लगा कि आपने उन्हें दूसरी बार याद नहीं किया?  नाती-पोतों/बच्चों से प्यार पाने की बात आती है तो पता नहीं पापा क्यों पिछड़ रहे हैं।*

  * 5.  मम्मी के लिए रंग-बिरंगी साड़ियों और ढेर सारे कपड़ों से भरी अलमारी होगी, लेकिन पापा के कपड़े बहुत कम हैं, उन्हें अपनी जरूरतों की परवाह नहीं है, फिर भी पता नहीं क्यों पापा पीछे हैं।

  * 6.  माँ के पास सोने के बहुत सारे गहने हैं, लेकिन पिताजी के पास एक ही अंगूठी है जो उनकी शादी के दौरान दी गई थी।  फिर भी माँ कम गहनों की शिकायत कर सकती हैं और पिताजी नहीं करते।  पता नहीं क्यों पापा पीछे रह गए।*

  * 7.  परिवार को पालने के लिए पापा जी-जान से मेहनत करते हैं, लेकिन जब पहचान बनाने की बात आती है तो पता नहीं क्यों हमेशा पीछे रह जाते हैं।

  * 8.  माँ कहती है कि मुझे इस महीने कॉलेज की ट्यूशन फीस देनी है, कृपया त्योहार पर मेरे लिए साड़ी न खरीदें, जबकि पिताजी ने नए कपड़ों के बारे में सोचा भी नहीं है।  वे दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं, लेकिन वे अभी भी नहीं जानते कि पिताजी पीछे क्यों रह रहे हैं। *

  * 9.  जैसे-जैसे माता-पिता बड़े होते जाते हैं, बच्चे कहते हैं कि माँ घर के कामों में सबसे कम काम आती है, लेकिन वे कहते हैं कि पिताजी बेकार हैं। *

  * पिताजी पीछे हैं (या 'पीछे') क्योंकि वे परिवार की रीढ़ हैं।  इससे हम अपने दोनों पैरों पर खड़े हो पाते हैं।  शायद यही वजह है कि वो पीछे है....!!!*

  *सभी पिताओं को समर्पित*

Sunday, November 14, 2021

आज की प्रेरणा - Today's Inspiration

      *✨💧✨ आज की प्रेरणा ✨💧✨*
 
हमारी पहचान हमारे बार-बार किये गए कर्मों से ही होती है। श्रेष्ठता कोई कर्म नहीं है बल्कि हमारी आदत है।

*आज से हम* श्रेष्ठता को अपनी आदत बनाएं...

*✨💧✨ TODAY'S INSPIRATION ✨💧✨*

We are what we repeatedly do. Excellence, then, is not an act, but a habit.

*TODAY ONWARDS LET'S* make excellence our habit.

🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃💫🍃

Friday, November 12, 2021

उम्रदराज न बनें

*उम्रदराज न बनें*:

*उम्र को दराज़ में रख दें*
*खो जाएं ज़िन्दगी में*
*मौत का इन्तज़ार न करें*

*जिनको आना है आए*
*जिसको जाना है जाए*
*पर हमें जीना है*
*ये न भूल जाएं*

*जिनसे मिलता है प्यार*
*उनसे ही मिलें बार बार*

*महफिलों का शौक रखें*
*दोस्तों से प्यार करें*
*जो रिश्ते हमें समझ सकें*
*उन रिश्तों की कद्र करें*

*बंधें नहीं किसी से भी*
*ना किसी को बँधने पर*
*मजबूर करें*
*दिल से जोड़ें हर रिश्ता*
*और उन रिश्तों से दिल से जुड़े रहें*

*हँसना अच्छा होता है*
*पर अपनों के लिये*
*रोया भी करें*
*याद आएं कभी अपने तो*
*आँखें अपनी नम भी करें*

*ज़िन्दगी चार दिन की है*
*तो फिर शिकवे शिकायतें*
*कम ही करें*
*उम्र को दराज़ में रख दें*
*उम्रदराज़ न बनें।*

कुछ बातें जीवन के लिए।‌ Some thoughts about Life

♦️ *रिश्ते और रास्ते*
       *तब ख़त्म हो जाते हैँ*
        *जब पाँव नहीं*
        *दिल थक जाते है.....*

 ♦️ *कृतज्ञता व्यक्त करना और क्षमा माँगना*
        *दो गुण जिस व्यक्ति के पास है*
       *वो सबके क़रीब... और ...*
       *सबके लिए प्रिय होता है ...*

♦️ *कुछ बातों के मतलब और*
       *कुछ मतलब की बातें..*
       *जब व्यक्ति दोनों को*
       *समझने लगता है*
       *सच में तभी जिंदगी सुलझी*
       *हुई नज़र आने लगती है..!!*

♦️ *मौन किसी मानव की*
       *कमजोरी नहीं* ....
       *उसका बड़प्पन होता है*
       *वरना जिस को सहना आता है*
       *उसको कहना भी आता है*

♦️ *परमात्मा सभी को एक ही*
       *मिट्टी से बनाता है*
       *...बस फर्क इतना है कि....*
       *कोई बाहर से खूबसूरत होता है*
       *.... तो कोई भीतर से...*

          
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     *🙏🏻🌄शुभ प्रभात🌄🙏🏻*

   *_🙏🏻🌹जय श्री श्याम🌹🙏🏻_*