Thursday, November 18, 2021

गुरु नानक जयंती पर विशेष कहानी

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*Զเधे_Զเधे*

🌹सुप्रभात जी🌹

एक गरीब, एक दिन एक सिक्ख के पास अपनी जमीन बेचने गया बोला सरदार जी मेरी 2 एकड़ जमीन आप रख लो। सिक्ख बोला, क्या कीमत है। गरीब बोला, --50 हजार रुपये। सिक्ख, थोड़ी देर सोच के ..., वो ही खेत जिसमे ट्यूबवेल लगा है।

गरीब --- जी। आप, मुझे 50 हजार से कुछ कम भी देगे, तो जमीन, आपको दे दूँगा।

सिक्ख ने आंखे बंद की 5 मिनिट सोच के... नही, मैं उसकी कीमत 2 लाख रुपये दूँगा।

गरीब... पर मैं 50 हजार ले रहाँ हूँ आप 2 लाख क्यो ??
सिक्ख बोला, तुम जमीन क्यों बेच रहे हो?

गरीब बोला, बेटी की शादी करना है। बच्चो की पढ़ाई की फीस जमा करना है। बहुत कर्ज है। मजबूरी है। इसीलिए मज़बूरी में बेचना है।पर आप 2 लाख क्यों दे रहे हैं?

सिक्ख बोला, *मुझे जमीन खरीदनी है किसी की मजबूरी नही खरीदनी* अगर आपकी जमीन की कीमत मुझें मालूम है। तो मुझें, आपके कर्ज, आपकीं जवाबदेही और मजबूरी का फायदा नही उठाना. मेरा "वाहेगुरू" कभी खुश नहीं होगा।
  
*ऐसी जमीन या कोई भी साधन, जो किसी की मजबूरियों को देख के खरीदे। वो घर और जिंदगी में, सुख नही देते, आने वाली पीढ़ी मिट जाती है।*
 
हे, मेरे मित्र, तुम खुशी खुशी, अपनी बेटी की शादी की तैयारी करो। 50 हजार की हम पूरा गांव व्यवस्था कर लेगें। तेरी जमीन भी तेरी रहेगी।
  
*मेरे, गुरु नानकदेव साहिब ने भी, अपनी बानी में, यही हुक्म दिया है* गरीब हाथ जोड़कर,आखों में नीर भरी खुशी-खुशी दुआयें देता चला गया।
 
ऐसा जीवन, हम भी बना सकते है।

*बस किसी की मजबूरी, न खरीदे। किसी के दर्द, मजबूरी को समझकर, सहयोग करना ही सच्चा तीर्थ है। ... एक यज्ञ है। ...सच्चा कर्म और बन्दगी है।

गुरु नानक जयंती...

*!! Զเधे Զเधे !!*

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